यूपीएससी के तैयारी के दैरान दो साल तक मोबाइल प्रयोग से बचे और पहले प्रयास में 51वीं रैंक ला बने IAS




आज हम आपको पहले ही प्रयास में टॉपर्स की सूची में अपना नाम दर्ज कराने वाले विक्रम ग्रेवाल के बारे में बताएंगे। विक्रम के पिता आर्मी में थे। ऐसे में उनका हर दो साल में ट्रांसफर हो जाया करता था, जिसकी वजह से विक्रम को भी बचपन से ही कई बार स्कूल बदलना पड़ा। इस दौरान नए स्कूल में दाखिले के लिए उन्हें अक्सर ही प्रवेश परीक्षा के लिए बैठना पड़ता था और इसी तरह उनके मन से किसी भी तरह की परीक्षा का डर निकल गया था।




विक्रम पढ़ाई लिखाई में भी हमेशा से ही अच्छे रहे हैं। उन्हें स्कूल में पढ़ाई जाने वाले लगभग सभी विषयों में ही काफी रुचि हुआ करती थी। कक्षा 10 की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब स्ट्रीम चुनने का मौका आया तो वह काफी असमंजस में थे। आखिरकार उन्होंने साइंस विषय को चुना लेकिन साथ ही सिविल सेवा परीक्षा देने का मन भी बना लिया था। फिर विक्रम ने कक्षा 12 में 97% अंक प्राप्त किए और स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हिस्ट्री विषय में बैचलर्स डिग्री प्राप्त की। हालांकि, ग्रेजुएशन के लिए साइंस छोड़ने के फैसले को लेकर उनके घर वालों ने उन्हें खूब सुनाया लेकिन विक्रम ने तो पहले ही तय कर लिया था कि उन्हें इस क्षेत्र में जाना है।




विक्रम ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा 11 से ही सभी विषयों की एनसीईआरटी किताबें इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। हालांकि, उन्होंने ग्रेजुएशन के दौरान केवल अपनी पढ़ाई पर फोकस किया और फिर ग्रेजुएशन पूरा होते ही अपने घर कुपवाड़ा जाकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत NCRT किताबों से ही की थी। फिर दो महीने तक केवल अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट हिस्ट्री कि तैयारी की।




उन्होंने कोचिंग से केवल नोट्स ही लिया और बाकी की पढ़ाई खुद से ही पूरी की थी। विक्रम नियमित रूप से न्यूज़ पेपर भी पढ़ा करते थे और साथ ही साथ नोट्स बनाकर उसका रिवीजन भी करते रहते थे। आखिरकार, दो साल के कठिन परिश्रम के बाद 2018 के अपने पहले ही प्रयास में ही विक्रम ने 51वीं रैंक के साथ टॉप किया।




विक्रम के अनुसार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया के अलावा फोन से भी दूरी बना ली थी। उन्होंने अपना एक टाइम टेबल तैयार कर लिया था और उसी के हिसाब से पढ़ाई किया करते थे। उन्होंने पढ़ाई के अलावा कई मॉक टेस्ट भी दिए थे, जिसका फायदा उन्हें परीक्षा के दौरान मिला। वह कहते हैं कि पढ़ाई के साथ रिवीजन करना, मॉक टेस्ट देना और लिखने की प्रैक्टिस करना बेहद ज़रूरी है।




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