दिसंबर में होनेवाली थी शादी, नक्सलियों के हमले शहीद हुआ जहानाबाद का लाल

जहानाबाद सदर प्रखंड के कल्पा गांव निवासी सीआरपीएफ के जवान श्रीगोपाल का बुधवार की रात 11 बजे ड्यूटी के दौरान निधन हो गए। छतीसगढ़ के बीजापुर जिले के चीनाकोडेपाल में तैनात 170 बटालियन का जवान ड्यूटी के दौरान ही बिजली के नंगे तार की चपेट में आ गए और घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

बताया गया है कि जवान कंपनी के असिस्टेंट कमांडेंट राजकुमार के नेतृत्व में बुधवार की रात आठ बजे ड्यूटी के लिए अपने बैरक से निकले थे। गश्ती से लौटने के क्रम में वह सड़क पर गिरे नंगे तार की चपेट में आ गए और बुरी तरह झुलस गए। गश्ती में साथ रहे जवान कामेश कुमार, सुधीर कुमार और अब्दुल लतीफभुयियान ने उसे बचाने की हरदम कोशिश की। लेकिन, तब तक जवान की मौत हो चुकी थी।

कल्पा गांव के लाल की डयूटी के दौरान निधन की खबर कंपनी कमांडेंट ने रात के एक बजे परिजनों को जब दी तो माता-पिता व अन्य सगे-संबंधियों को जैसे काठ मार गया। कल्पा गांव में चीख-पुकार मच गई। पिता कौशलेन्द्र कुमार और मां मीना देवी पछाड़ मारकर रो रहे थे। बुढ़े दादा शोभेन्द्र शर्मा के दोनों आंख से धर-धर आंसू बह रहे थे। मां कभी अपने बेटे की तस्वीर को निहारती तो कभी सूर्य की ओर ताकने लगती। मातमपूर्सी के लिए गोतिया दयाद तथा पड़ोस के लोग के आंखें भी न हुई जा रही थी। लोग श्रीगोपाल की वीरता समेत सज्जनता की चर्चा कर रहे थे।

मृत जवान के चाचा धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि रात करीब एक बजे उन्हें यह मनहूश सूचना मिली। कंपनी कमांडर ने फोन कर बताया कि 11 बजे रात के आसपास अपने ड्यूटी के दौरान श्रीगोपाल शहीद हो गया है। इतना सुनते ही लगा की शरीर में जैसे करंट दौड़ गया हो। वे कहते हैं कि बुधवार को ही श्रीगोपाल से बात हुई थी। रात में उसने अपनी मां को भी फोन किया था। अचानक से हुए इस वज्रपात ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है।

होनी थी शादी, आ रहे थे विवाह के प्रस्ताव
श्रीगोपाल की अगले वर्ष ही शादी होनी थी। बड़े भाई के विवाह के बाद माता-पिता शादी के लिए श्रीगोपाल पर दबाव बना रहे थे और वह भी मान गया था। पिता कौशलेन्द्र कुमार कहते हैं कि विवाह के लिए कई प्रस्ताव भी आए थे। सुंदर और सुशील कन्या की तलाश थी। उसे भी विवाह के प्रस्तावों की जानकारी देते रहते थे। वे कहते हैं कि एक सितम्बर को ही वह अपने ड्यूटी पर वापस लौटा था। कोरोना काल में छुट्टी पर आने के बाद गाड़ी-मोटर चलना बंद था तो भाड़े की गाड़ी से वह बीजापुर पहुंचा था।

साढ़े तीन साल पहले ज्वाईन की थी नौकरी
छह फीट लंबा और छड़हरे बदन का श्रीगोपाल शुरू से ही मेहनती था। परिजनों ने बताया कि महज 21 साल की उम्र में ही पहली बार उसने सीआरपीएफ की नौकरी के लिए आवेदन दिया। पहले ही प्रयास में उसका चयन हो गया था। परिजन बताते हैं कि देश सेवा में रहने के बावजूद वह गांव के सामाजिक कार्यो में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करता था।

शुक्रवार की सुबह पहुंचेगा शहीद का शव
मृत जवान का शव शुक्रवार की सुबह उसके पैतृक गांव कल्पा पहुंचने की संभावना है। चाचा ने बताया कि गुरुवार को करीब 11 बजे दिन में तो उसका बीजापुर के सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम ही हुआ है। पोस्टमार्टम के बाद शव को पटना लाया जाएगा और वहां से शुक्रवार की सुबह पैतृक गांव कल्पा पहुंचेगा।

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