काफी संघर्षों के बाद अर्चना ने टीम इंडिया को बनाया विश्व विजेता, मां से कहा था- कुछ भी हो जाए हार नहीं मानेंगे…..





अर्चना की मां सरिता देवी बताती हैं, इसका टैलेंट अलग  ही  था। बचपन में ये लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनती थी। कहती थी कि हमको कुछ बनना है, तो हम कहते थे कि बेटा इस लायक नहीं बन पाओगे। तो इसका कहना था कि मम्मी कुछ भी हो जाए हार नहीं मानेंगे।





पिता का 2008 में कैंसर से निधन हो गया। मां ने लोगों के ताने सहे, लेकिन बेटी को क्रिकेट के लिए साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर मुरादाबाद भेजा। ये कहानी है भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार खिलाड़ी अर्चना शिवराम देवी की।





रविवार को भारत ने अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप में इंग्लैंड को हराकर शानदार जीत हासिल की है। भारत ने तीन विकेट खोकर जीत हासिल की। इंग्लैंड की टीम सिर्फ 68 रन पर ही ऑल आउट हो गई। इस जीत के बाद से अर्चना के घर और गांव में जश्न का माहौल है।





‘मम्मी कुछ भी हो जाए हार नहीं मानेंगे..’
जीत के बाद अर्चना की मां सरिता देवी बताती हैं, “इसका टैलेंट अलग  ही  था। बचपन में ये लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनती थी। कहती थी कि हमको कुछ बनना है, तो हम कहते थे कि बेटा इस लायक नहीं बन पाओगे। तो इसका कहना था कि मम्मी कुछ भी हो जाए हार नहीं मानेंगे।”





रेस में सेकंड नंबर आया तो पूनम गुप्ता ने किया फोकस
वहीं, 18 वर्षीय अर्चना कहती हैं, “पहले गांव में रहती थी। मेरे पिता नहीं हैं। बचपन में थे तो पिता का निधन हो गया था। मम्मी ने कस्तूरबा गांधी स्कूल में मेरा एडमिशन कराया था। तो वहां पढ़ती थी। वहां एक दिन रेस हुई थी तो मेरा सेकंड नंबर आया था। इसके बाद पूनम गुप्ता मेम ने मुझ पर फोकस करना शुरू कर दिया कि ये खिलाड़ी बन सकती है।”





अर्चना आगे बताती हैं, “चार पांच महीने मैंने स्कूल में खेला। मुझे क्रिकेट के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं थी। मेम ने मम्मी को कॉल करके कहा कि इसे कानपुर ले जाकर आगे बढ़ाना चाहती हूं। मम्मी तैयार नहीं थी। फिर मम्मी को मैम ने, भाई ने, मैने सभी ने दबाव बनाया। फिर मम्मी ने भेज दिया। फिर मेम ने मेरा हॉस्टल और खाने पीने का पूरा का खर्च उठाया।”





पूनम गुप्ता ने दिलाईं उम्मीद, कहा था ‘कुछ जरूर बनेगी’
सरिता देवी आगे कहती हैं, “इसके (अर्चना) इरादे यही थे कि हमें कुछ बनना है। हमारा कहना था कि बेटा तुम यहां कुछ नहीं बन पाओगे। इतना पैसा नहीं है तो उस जगह पर नहीं पहुंच पाओगे। लेकिन पूनम गुप्ता उम्मीदें दिलाया करती थीं, कहती थीं उम्मीद मत छोड़ो। अगर भगवान का आशीर्वाद होगा तो कुछ न कुछ जरूर बनेगी।”





रॉवर्स के कोच कपिल पांडे ने पहचाना अर्चना का टैलेंट
अर्चना की क्षमता को देखते हुए पूनम गुप्ता ने उन्हें 2016 में कानपुर में रॉवर्स क्रिकेट क्लब में शामिल किया। रॉवर्स के कोच कपिल पांडे ने अर्चना के टैलेंट को नोटिस किया और उसे पेस के बजाए स्पिन गेंदबाजी करने को कहा। कपिल पांडे गेंदबाज कुलदीप यादव के भी कोच रहे हैं। ऐसे ही उन्होंने कुलदीप यादव से भी कहा था।





अर्चना बताती हैं, “पहले मैंने एक महीने तक तेज गेंदबाजी की। उसके बाद कपिल सर ने मुझे ऑफ स्पिनर बना दिया। उन्होंने पहले मुझसे मीडियम पेस गेंदबाजी करवाई। फिर मेरा बेस्ट ऑफ स्पिनर में रहा तो सर ने मुझे उस ओर फोकस करने को कहा।”





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